Sunday 6 December 2015

काश मेरी भी एक गर्लफ्रेंड होती...

मांगता कभी जो चंद लम्हे तो दिन वो तमाम देती,
होता कभी उदास तो खुशियाँ वो हजार देती,
दिख जाता कहीं उम्मीद तो सपनो की वो बौछार देती,
मुश्किलें आती कभी तो सोलूशन्स वो हजार देती।
बरसात कभी आती तो छाते को वो तान देती,
परेशानियों के पिटारों को तो हवा में यूँही वो उछाल देती,
जमाने के तानों को तो अपनी वो मुस्कान देती,
मेरी हर एक अदा पर ही तो वो अपनी जान देती।
काश मेरी भी एक गर्लफ्रेंड होती तो मेरे हर लम्हे को वो सवाँर देती।
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)

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