Sunday 28 February 2016

"एगो परीक्षा अईसन भी"

"एगो परीक्षा असन भी"

प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता, स्नातक के परीक्षा शुरू भईल  आधा घंटा बीतत होई। कॉलेज के मुख्य द्वार बंद हो चुकल बा। तबही एगो छात्र आईल आ गार्ड से परीक्षा हॉल में जाए के अनुमति मांगे लागल। गॉर्ड के ना मानत देख के उ छात्र प्राचार्य के बोलावे ला निहोरा कईलस। धीरे-धीरे बहस आ शोर बढे लागल। निरीक्षण के खातिर घुमत प्राचार्य शोर सुन के मुख्य गेट के तरफ बढ़ गईलन। उहाँ उ छात्र के बात समझ के उनका लेट अइला के वजह से परीक्षा में ना बईठे देवे के नियम के सफाई देके समझावे के प्रयास कईलन। छात्र के गुहार के कउनो असर उनका प ना भईल। उ जब लौट के जाए लगले त उ छात्र कहलन "आई एम द राजेन्द्र हु नेवर स्टूड सेकंड इन एनी एग्जाम"। प्राचार्य उनकर ई बात सुन के आखिरकार अनुमति दे दिहले। छात्र धन्यबाद देत अपना परीक्षा हॉल के रुख कईले। इहवाँ हम ई ध्यान दिलावे के चाहेंम की अंग्रेजी ग्रामर के नियम के अनुसार कउनो व्यक्ति के नाम के पहिले 'द' के प्रयोग ना होखे ला। एकर इस्तेमाल ई दर्शावे खातिर काफी रहे की उ छात्र के अनुसार उनका जईसन कोई ना रहे ना होई। खैर परीक्षा में बइठे के अनुमति मिलल। अंग्रेजी के पेपर में ओ घरी 10 गो सवाल पुछल जाव,आ ओमे से 5 गो सवाल ही करे के रहत रहे। प्रश्न पत्र के दसो सवाल हल क के उ छात्र लिखले "चेक एनी फाइव" आ आधा घंटा पहिलही निकल गईले। जब परीक्षक कॉपी देखले त अतना प्रभावित भईले की उत्तर पुस्तिका प आपन टिपण्णी दिहले "एग्जामिनि ईज बेटर दैन द एग्जामिनर"। अब सवाल ई बा कि  एतना प्रतिभाशाली छात्र के उ कौन मज़बूरी रहे जउन वजह से उ परीक्षा में देर से पहुँचल? दरअसल,चूँकि कॉलेज बंगाल  के रहे त अधिकांश छात्र बंगाल के रहे लोग आ ओ लोग के एगो दूसर राज्य के छात्र(बिहारी) के हर परीक्षा में टॉप कईल अच्छा ना लागत रहे। ओहि से उ लोग उनका के परीक्षा के समय आधा घंटा देर से लिखा देले रहे,ताकि परीक्षा में ना बईठ पईला की वजह से उ टॉप ना कर पावस। ओह महान विभूति के नाँव 'राजेंद्र प्रसाद' रहे। उहाँ के आगे चल के स्वतन्त्र भारत के पहिलका राष्ट्रपति भईनी। उहाँ के योगदान देश के स्वंत्रता संग्राम में अतुलनीय रहे। उहाँ के समूचा जीवन देश-सेवा में बीतल।उहाँ के हमार बेरि-बेरि नमन बा...
अनुराग रंजन
कोटा,राजस्थान।
स्थाई पता:-मशरख(सारण),बिहार।
कार्य:-वर्तमान में आईआईटी परीक्षा के तैयारी आ स्वतन्त्र रूप से लेखन।

नोट:- भोजपुरी ई पत्रिका आखर के दिसंबर अंक में ई लेख प्रकाशित हो चुकल बा..

Wednesday 17 February 2016

भोजपुरिया पाती

प्रणाम,

आशा बा की सभे निमन होई। आज हम भोजपुरिया पाती लिख रहल बानी,एह उम्मीद के जरे की रउआ सभे के साथ आ सहयोग दिलावे में ई पाती आपन योगदान दिही।

आज हमनी के भोजपुरी एगो संघर्ष के इस्थिति में बावे। हमनी के प्रयास भोजपुरी में फईलल अश्लीलता के खत्म करे के, भोजपुरी साहित्य के सृजन करे के आ भोजपुरिया संस्कृति के संघे-संघे एकर समृद्ध विरासत के सहेजल बा।

पिछ्ला कुछ सालन् में भोजपुरी के लोकप्रियता में जहवाँ बेतहासा इजाफा भईल बा ओहिजा एह में फईलल अश्लीलता एह के लोग से दूर कर देले बिया। आज बहुत सारा भोजपूरी संगठन आ पत्रिका एह झेत्र में भी काम कर रहल बा। बहुत सारा गायक लो भी अश्लीलता से नाम कमावे के लोभ छोड़ आदर्श कायम कर रहल बा लोग। आई सभे मिल के ओह लोग के काम के सहयोग आ प्रोत्साहन दिहल जाव,साथ आ स्नेह के ताकत से।

हमनी के मकसद भोजपूरी के ओकर उचित स्थान आ ओहदा दिवावे ला एक मंच पर इकठ्ठा कईल ला। आशा बा सभे भोजपुरिया एह खातिर आपन जिम्मेवारी के निर्वाहन करी। बहुत सारा लोग के योगदान आ प्रतिबद्धता देख के ही हमरा जईसन नवहा आज एह ला प्रयासरत बा। रउआ सभे से आज  राउर पोता/बेटा/भाई  दसों नोह जोड़ के निहोरा कर रहल बा।

सभे बड़ बुजुर्ग के प्रणाम आ छोट भाई बहिन के शुभाशीष।

राउर आपन,
अनुराग रंजन

Tuesday 16 February 2016

एक यादगार दिन

आज का दिन यादगार बन गया। कारण सोशल मीडिया पर सक्रीय कई मित्रों से फोन पर बात हुई। अपितु मित्र कहना सरासर गलत है। अतः

1. Saurbh Chaturvedi सर से बात हुई। मन आनंदित हो गया। ऐसा लगा मानो उन्होंने सेवा का मौक़ा सिर्फ आशीर्वाद देने हेतु ढूढ़ निकाला था। ख़ुशी का आलम यह है की आज 10 प्रश्न रोजना के तय सूचि से ज्यादा हल कर चुका हूँ। सर को सादर प्रणाम,तथा तहे दिल से आभार।

2. बड़े भैया सर्वेश तिवारी श्रीमुख जी से दो बार बात हुई। उनसे भोजपूरी को लेकर संछेप में लगभग हर मुद्दे पर बात हुई। उन्होंने हमे भोजपूरी में लिखते रहने के लिए प्रेरित किया। साथ ही उज्वल भविष्य हेतु ढेर सारा आशीर्वाद मिला।  आदरणीय सर्वेश भईया को प्रणाम और शुक्रिया। जय हो जय हो।

3.साथ ही Shashi Ranjan Mishra भईया से भी बात भईल। ब्लॉग से जुड़ल मुद्दा प सार्थक आउर सटीक बात भईल। उहाँ के ऑफिस में रहला के वजह से कम शब्द में लेकिन कामयाब बातचीत भईल। ईहा के कभी फुरस्ताह में फोन क के निमन से आशीर्वाद लिआई। भईया के चरण-स्पर्श आ धन्यवाद बा।

4.असित कुमार मिश्र गुरुदेव से तो लगभग एक महीने पहले ही लम्बी एवं अति प्रोत्साहि बातचीत हो चुकी है। उनके आशीर्वाद से आज मैं अपने लक्ष्य पर निशाना साधने को तैयार हूँ। मैं ना केवल उन्हें साहित्यिक गुरु मानता हूँ वरन एक परफेक्ट निर्देशक भी मानता हूँ । गुरूवर की ही वजह से मेरा ध्यान भटकाने वाली चीजों से मोह भंग हुआ है। उनके शब्दों ने मेरे अंदर एक नये ऊर्जा का संचार किया है। सर को हार्दिक प्रणाम तथा चरण स्पर्श।

5. बाकी रह गए है,तो केवल और केवल Atul Kumar Rai भईया। उनसे भी जल्द ही फोनिक बातचीत की उम्मीद है। अतुल भईया को प्रणाम तथा सादर आभार। आपका साहित्य और संगीत के प्रति जो समपर्ण है वह मुझे अपने झेत्रों में समपर्ण हेतु सदैव प्रोत्साहित करती है।

अततः इसी कामना के साथ की आप सबों का आशीर्वाद तथा स्नेह मुझे यूँही सदैव मिलता रहेगा। लव यु ऑल। सादर प्रणाम।
आपका,
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)
©anuragranjan1998@gmail.com™

Sunday 14 February 2016

वामपंथी मोहब्बत का एक और खत...

वामपंथी मोहब्बत का एक और खत...

असित सर के परमिला भौजी,अतुल भईया के पिंकी जी और सौरव सर के वामपंथी मोहब्बत के सभी चाहने वालो को मेरा प्यार भरा नमस्कार।

असित सर के ललका गुलाब,अतुल भईया के पिंकिया के नाम के लभ का पाना आ सौरव सर के वामपंथी मुहब्बत के धूम के बीच एक ब्रेकिंग न्यूज़ ये है की कुछ बड़े नाम वाले लोगो की शर्मनाक कृत्य सामने आ रही है। माने पोस्ट को चुरा के अपना नाम से हिट कराने की परंपरा। पर इसके साथ ही इनके(शायद हमारे भी) चाहने वालो की पारखी नजर से इन सब का बच पाना नामुमकिन है। ऐसे चोरों की लंका में आग लगाने का काम हम जइसे हनुमानों ने शुरू कर दिया है। उन्हीं लोगो और अपने चाहने वालों को समर्पित मेरी ये कविता...

वे हमारा चुरायेंगे,हम उन्हें ढूढ़ कर निकालेंगे।
वे अपना कहेंगे, हम उन्हें घसीट कर तड़पायेंगे।।

बलिया वालों का चुराओगे,मशरख वाले भी कह के मारेंगे।
हमें लिखने से ना रोक पाओगे,तुम खुद एकदिन शर्म से मर जाओगे।।

तुम जब तक आजमाओगे,हम तब तक असिलयत बताएँगे।
अब रुक भी जाओगे,तो भी अब हम तुम्हे माफ़ नही कर पाएंगे।।

हम डंके की चोट पर तुम्हे नचाएंगे,तुम नाचते-नाचते थक जाओगे।
जनाजे पर खुद से लजाओगे,लोग तुम्हे विदाई भी देने ना आएंगे।
शेम ऑन यू चीटर्स...

इस समस्या से निदान के लिए सभी लेखको से मेरा विनम्र निवेदन है की गूगल प्ले स्टोर से ब्लॉगर का 6-7 एमबी का ऍप इंस्टॉल कर जीमेल अकाउंट से अपना ब्लॉग बना ले। प्रत्येक पोस्ट से पहिले वहाँ पोस्ट करने के बाद ही फेसबुक पर डाले। समस्या आने पर इनबॉक्स में मिले। सभी ओरिजीनल लेखकों का अपना साथी..
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)



Monday 8 February 2016

मेरे तलवार

ये दिन,ये रात और ये किताब है मेरे तलवार!
एक दिन, ये ही करेंगे मेरे हर सपने को साकार...

बस मुझे है,उचित वक़्त और मौके की दरकार!             फिर ये दुनिया देखेगी मेरे प्रतिभा की असल वार...

अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)

Friday 5 February 2016

"ना जाने कईसे दू..."

किताब-कॉपी के छोड़ फेसबुक आ ट्वीटर पढ़ल जात बा।
भलही,काहेना टॉप करेके सपना रोज देखल जात बा।।

क्लास छोड़ के फ़िल्म रोज देखल आ देखावल जात बा।
भलही, काहेना माई-बाबूजी के भरोसा तमाम रोज दिहल जात बा।।

मैसज आ वीडियो चैट ला इंटरनेट के कनेक्सशन लिहल जात बा।
भलही,काहेना किताब-कॉपी किने के कह के रुपिया मँगावल जात बा।।

पिज्जा-बर्गर आ कोल्डड्रिंकस के आर्डर दिहल जात बा।
भलही,काहेना दुध-दही से दुरी रोज बढ़ल जात बा।।

पढ़ाई के वजह से व्यस्तता के रोना हरवक़्त रोवल जात बा।
भलही,काहेना सोशल मीडिया प ऑनलाइन हरदम भेटा जाईल जात बा।।

टोकले प ही सही,हमरा से बोलल छोड़ के पढाई करत उ दिन-रात बा।
ना जाने कईसे दू, पढ़ाई के कीमत ओकरो अब बुझात बा।।

Monday 1 February 2016

इश्क में पत्तल-गिलास भईल

#माटी #भोजपुरी
#इश्क में पत्तल गिलास भईल

जवन आँखि के चमक कभी प्रकाशवा रहत रहे,ना जाने केतना दिन बाद आशा ओकरे लगे फ़ोन कईले रही। उ प्रकाश के अपना गाँवे बोलवले रही। शहरी प्रकाश जब भुखासल पियासल टमटम से उतर के जोगी सिंग के घर जोहत रहे, त एक जाना कहले जो रे मंगरुआ इनका योगी सिंग के घरे छोड़ आव। बुझाता ईहा के जोगी बाबू के लइकी के बियाह में आईल बानी।
आशा के दुआरी प चहूँप के उ आशा के फ़ोन लगवले।
आशा कहली हम थोड़ देर में बाहर आएम तले तू पत्तल-गिलास चलाव, ना त केहु तहरा के चिंह लिही। पत्तल गिलास चलावत प्रकास ईहे सोचत रहे हम त इश्क में पत्तल-गिलास हो गईनी। खैर ई त एगो शहरी के गवहि बनावे के आशा के प्रोग्राम रहे,काहे की जोगी सिंग के ईहे शर्त जे रहे...उलटा बहत एह पलायन के कहानी के ई अंश एगो कहानी के बा जवन भोजपुरी किताब के हिस्सा बनावे के उदेश्य से लिखाइल बा।
जय भोजपुरी।