Tuesday 31 December 2019

सर्वेश तिवारी श्रीमुख जी की कालजयी उपन्यास "परत" की समीक्षा प्रीतम पाण्डेय के कलम से....

परत ,सर्वेश तिवारी श्रीमुख के द्वारा लिखा गया पहला उपन्यासहै । परत , एक गाँव की कहानी है । गँवई समाज की व्यथा है जो होती तो नजरों के सामने है लेकिन हम सब उस व्यथा पर चुप रहते हैं । हम ये नही सोचतें कि भविष्य पर इसका कैसा असर पड़ेगा । हम सब जानते हैं कि गाँव की कहानियाँ गर्मियों में एसी और जाड़े में हीटेड कमरों में बैठकर लिखी जाती हैं । कमोबेश सारे लेखकों की कहानियों में गाँव मिल ही जाता है । लेकिन परत गाँव में घटी हुई ऐसी कहानी है जो लेखक से लिखवाने के लिए  पीपल के पेड़ चबूतरे पर , बाहर कोठरी में , खेत की मेढ़ तक ले गई ।
परत वैसा उपन्यास है जिसे पढ़कर आपको लगेगा कि ये घटना मेरे बगल की है । आपके आँखों में सारे दृश्य नाचते हुए मिलेंगे । लगेगा जैसे परत को आपने जीया है । परत वैसा उपन्यास है जिसकी प्रतीक्षा लोग कई महीनों से कर रहे थें और जब यह अमेजन पर उपलब्ध हुई तो वैसे ही खुली जैसे कोई परत खुलती है । अमेजन पर उपलब्ध होने के मात्र आठ घंटे भीतर ही बेस्ट सेलर की श्रेणी में पहुँच जाना किसी उपन्यास के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है । उसके पाठक झूम उठते हैं ऐसी उपलब्धी पर । सोचिए लेखक की प्रसन्नता कितनी ऊपर तक गई होगी ? 
परत जब लोगों के द्वारा पढ़ी जाएगी तो इसपर टिप्पणीयों के बाग लगेंगे और उस बाग में कई गुल खिलेंगे । लोग कहेंगे , यार लेखक ने जीवन को लिख दिया है । लेखक ने अपना हिम्मत दिखाया है । उसके भीतर की आत्मा ने उसे ऐसा लिखने को प्रेरित किया है । परत के आने से पहले उसके कुछ अंशों के सुधारक होने के नाते ये मैं दावे के साथ कहता हूँ कि परत भी आपको वही दिखाएगी जो समाज आज हमें दिखा रहा है । समाज जिसका दंश झेल रहा है । जिसे भुगत रहा है । परत आपकी रूह हिला देगी । आप कह उठेंगे , समाज ये क्या कर रहा है ? 

परत को बहुत बधाई है । उपलब्ध होने के आठ घंटे के भीतर ही इसका बेस्ट सेलर की सूची में आ जाना यह सिद्ध करता है कि लोग इसकी प्रतीक्षा में कितने बेचैन थें । लोगों का क्या प्रतिउत्तर रहा ,यह सिद्ध कर रहा अमेजन पर इसका बेस्ट सेलर की सूची में होना । परत पढ़िए , क्योंकि इसमें आपको इतने उद्धरण(Quote) मिल जायेंगे जो युगों तक आप नही भूलेंगे । परत पढ़िए , क्योंकि यह परत है जो परत दर परत खुलेगी । आप जितना पढ़ेंगे उतना आपको आपका समाज दिखेगा । उस समाज के भीतर हो रही घटनायें दिखेंगी । वह सबकुछ दिखेगा जिसे हम सब देखते हैं लेकिन मूकदर्शक होकर । परत आपको जगाएगी ।परत उन्हीं आँखों की परत खोलेगी । परत को पढ़िए । 

जय हो । जय हो आप सबों की ।

प्रीतम पाण्डेय
 छपरा, बिहार

No comments:

Post a Comment