Tuesday 12 January 2016

पानी:-किल्लत और अनुभव

क्या कभी आपने सोचा भी है की पानी ना हो तो क्या हो सकता है? जी हाँ,समस्या कितनी गंभीर है या हो सकती है,शायद आप सोच भी नही पाएंगे। आज कुछ ऐसे ही अनुभव के दौर से गुजर रहा हूँ, तो लीजिये आज,इस समस्या से आप सबका परिचय कराता हूँ।
    हेलो,"कहाँ बारे,पानी नईखे आवत,पानी लेले अईहे त बोतल में" फोन उठाते ही दाग दिया मेरे मित्र सचिन ने। उस समय मैं अपनी नियमित कक्षाओ को अटेंड करने के बाद वापस लौट रहा था। किसी तरह एक प्याऊ से एक बोतल पानी लेकर मैं जैसे ही अपने रूम वापस पहुँचा तो पता चला की आने वाले 18 घंटे के लिए पानी की सप्लाई नही मिलने वाली है। जेहन में एक ही सवाल कौंधा,एक बोतल पानी,आने वाले 18 घंटे और तीन लोग? ई तो भद्दा मजाक हो गया रे! वाकई समस्या कुछ अधिक ही गंभीर और चिंताजनक थी,तो क्या किया जाए? हमेशा की तरह क्रांतिकारी विचार सुझाने वाला अखिलेश बोल उठा " 18 घंटा के ही त बात बा, एक दिन नाहिये खाईल जाइ त का हो जाई?"। उनमे क्रांतिकारी विचार तो मूसर से कूट कूट के भरे पड़े है भाई। खैर उस वक़्त तो हमने इसे दरकिनार करते हुए जैसे-तैसे भोजन करना ही उचित समझा।
          समस्या केवल पीने के पानी की ही नही थी भाई, बाकी तो आप खुदे समझदार है। बुझ लीजिये, जइसे-तइसे समय कट रहा था। शाम होने को आई, रात के लिए पानी का इंतेजाम कइसे हो? फिर क्या था,तीन आदमी,पाँच बोतल और कोटा की सड़क। इनका मिश्रण कुछ-कुछ लालु,नितीश जी के महागठबंधन के जईसा ही था। और पानी मिलने की चाहत ठीक जीतन राम मांझी के दोबारा सीएम पद पाने जैसी थी। ऐसे में उस वक्त जरूरत सिर्फ और सिर्फ रामविलास पासवान जी की तरह मौक़ा भुनाने वाले किसी आदमी की थी। आखिकार,विचार आ ही गया की महाकाल जी के पास चलते है। महाकाल, मेरे मेस का नाम है,और वो टिफिन पहुँचा चुके थे। खैर,अंतोगत्वा उन्होंने फ़रिश्ते की तरह हमे पानी उपलब्ध कराया और हम वापस अपने रूम पर थे।
इधर पानी के यथासम्भव बचाव के लिए हम आपस में ठीक उसी तरह उलझे पड़े थे जइसे दांव पे लगी परधानी की सीट हो। उधर जादव जी का क्रांतिकारी विचार पुनः आ चूका था "कुल्ला क के पानी फेके के जगे घोट जाईल जाई"। इस बिल को पास होने में हमारे छोटे से पार्लियामेंट में चंद सेकण्ड भी ना लगे। कानून लागू हो गया,हमने खाना खत्म किया और अपने-अपने कमरे में हो लिए।

पानी की ये छनिक समस्या तो जरूर खत्म हो गई,लेकिन पानी की किल्लत हमारे जेहन में घर कर चुकी है। अगर आपने भी कभी इस तरह की समस्या झेली हो तो हमसे शेयर करे। अधिक से अधिक लोगो को जागरूक करे। आपका एक छोटा प्रयास कइयों की प्यास बुझाने में बड़ा योगदान दे सकता है।



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