खेसारी जी डीजे पर बड़े ही शान से बज रहे है...
बताव ये रानी फिचकारी के पानी तोरा लहंगा में लाहे लाहे जाता की ना...
जी हाँ, ये दृश्य छपरा,बलिया के किसी गाँव शहर के होली का नही है...
ये दृश्य तो देश की शिक्षा नगरी के रूप में विख्यात कोटा(राजस्थान) शहर की है...
ये आज का वो युवा है जो आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर बनेगा..
यकीन माने इन्हें एक सही दिशा दे दी जाए तो सूरतेहाल बदल जाएंगे..
ठीक है होली है,यूवाओ के उत्साह का संगम है..तो क्या उत्साह का बाजार सिर्फ अश्लील गीतों से ही चमकेगा...
होली का तड़का खेसारी और खुशबु के गीतों से नही बल्कि आपसी मेलभाव से ही छौका जा सकता है...
आज का युवा अगर यह समझ ले तो होली को पारंपरिक त्यौहार के रूप में कायम रखने में हमे सफलता अवश्य मिलेगी।
खैर,आपका होली है और आप ही तय करे इसे कैसे खेलेंगे और किस तरह आगे बढ़ाएंगे..
होली की शुभकामनाएं के साथ आपका,
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)
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Thursday 24 March 2016
होली का तड़का
Tuesday 22 March 2016
होली कब है??
रमेसवा का परिवार आज खूबे खुश है। काहे ना खुश हो होली पर सऊदी से तीन साल बाद रमेसवा जो आया है...
गाँव-जवार में पहिलही से हाला हो गया है की अबकी होली का मेन पिरोग्राम रमेस के दुआर पर होगा... रमेस बो इंतेजाम में लग गई है। पकवान ओकवान त गाँव-घर की मेहरारू सब मिल के बना लेगी...
घर दुआर लीपना भी तो होगा....गड़ी छोहाड़ा आ अबीर भी खरीदा गया है।
दारु का इंतेजाम हो जाना चाहिए टाइम पर,कांति चा रमेसवा को समझा रहे है महफ़िल का रंग ईहे तो जमावेगा...
एने प्रताप बाबू होली में घर आने का पिलान केंसिल कर दिए है। माई-बाबूजी को कह दिए है,पढ़ाई का लोड है... अगिला साल मना लेंगे होली माई तोहरा संघे। माई कह रही है बबुआ कबो होली में घर से बाहर नही रहा जी,मन केंग दू हो जा रहा है...
कवन समझावे की प्रताप को पढ़ाई का लोड नही संगीतवा रोक ली है।...
ईहे सोच के मने-मने प्रताप फूल के डोसा जा रहा है की अबकी होली उ संगीतवा के संघे खेलेगा...
हेने काउर हमरा जईसा स्टूडेंट सब ईहे सब सोच के बौरा गया है कि इस बार इकजामवा बीत जाय त अगला बेर सारा लहार हमहूँ ना लुटे तो हमरा नाम...
प्रकाशवा फेसबुक आ व्हाट्सएप्प पर सभे से पूछ-पूछ के थक-हार के सूत गया की होली कब है??
23 को की 24 को...
डेट का कंफ्यूजन एह बार एतना जादा है की पहिलका बेर डेट प गए ड्यूड कलुआ आ एंजेल गोल्डी भी कांफुजिआ के गए है की आजे का डेट रखे थे की काल्हे का??
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)