होली का तड़का

खेसारी जी डीजे पर बड़े ही शान से बज रहे है...
बताव ये रानी फिचकारी के पानी तोरा लहंगा में लाहे लाहे जाता की ना...
जी हाँ, ये दृश्य छपरा,बलिया के किसी गाँव शहर के होली का नही है...
ये दृश्य तो देश की शिक्षा नगरी के रूप में विख्यात कोटा(राजस्थान) शहर की है...
ये आज का वो युवा है जो आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर बनेगा..
यकीन माने इन्हें एक सही दिशा दे दी जाए तो सूरतेहाल बदल जाएंगे..
ठीक है होली है,यूवाओ के उत्साह का संगम है..तो क्या उत्साह का बाजार सिर्फ अश्लील गीतों से ही चमकेगा...
होली का तड़का खेसारी और खुशबु के गीतों से नही बल्कि आपसी मेलभाव से ही छौका जा सकता है...
आज का युवा अगर यह समझ ले तो होली को पारंपरिक त्यौहार के रूप में कायम रखने में हमे सफलता अवश्य मिलेगी।
खैर,आपका होली है और आप ही तय करे इसे कैसे खेलेंगे और किस तरह आगे बढ़ाएंगे..
होली की शुभकामनाएं के साथ आपका,
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)

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