माँ

गिरता हूँ, उठता हूँ,सम्भलता हूँ और दौड़ पड़ता हूँ, क्योंकि माँ आकर सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है, मेरा बेटा कभी हार मान ही नही सकता, क्योंकि उसे तो दुनिया की हर एक ख़ुशी,मेरे इस आँचल ...
सोच क्या हैं?? आगे बढ़ने के लिए पहला कदम! मंजिल की राह में एक कदम! उसमे भी नवीन सोच के क्या कहने! हमारा प्रयास आपको नई सोच,बेहतर जानकारी तथा जिंदगी की अनबुझ पहेलियों से रूबरू कराना है। आप यहाँ पर अपने विचार भी शेयर कर सकते है। हमारे ईमेल आईडी anuragranjan1998@gmail.com पर सुझाव भेजे। आपका, अपना अनुराग रंजन।