Saturday 7 May 2016

माँ

गिरता हूँ, उठता हूँ,सम्भलता हूँ और दौड़ पड़ता हूँ,
क्योंकि माँ आकर सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है,
मेरा बेटा कभी हार मान ही नही सकता,
क्योंकि उसे तो दुनिया की हर एक ख़ुशी,मेरे इस आँचल में ला कर डालनी है ना।

तुम खुश हो तो खुश हूँ मैं, ये सिर्फ एक माँ कहती है,
मैं कहता हूँ, माँ साथ है तो हर जंग में जीत पक्की है,
हो कोई तमन्ना तो बेझिझक बता देना मुझसे माँ,
क्योंकि किसी ने कहा है "मुझ पर पहला और आखिरी हक सिर्फ तेरा है।"
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)

कैरियर

कैरियर:सुझाव आ विकल्प(खेल आ शारीरिक शिक्षा विशेष)           

जहवाँ खेल आ शारीरिक शिक्षा के एगो सफल कैरियर में बहुमूल्य योगदान होला ओहिजा खेल आ शारीरिक शिक्षा के चुनाव भी कैरियर बनावे ला कइल जा सकत बा। एह अंक एह झेत्र प विशेष...

विश्वविद्यालयण आ अन्य शिक्षण संस्थानन् में भी ए घरी खेल आ शारीरिक शिक्षा के एगो बेहतर पाठ्यक्रम के रूप में शामिल कइल जाता। स्वास्थ्य के लेके हमनी के अंदर आईल जागरूकता हमनी के जिम,योग के प्रति सजग कइले बा। अइसन में योग जइसन प्राकृत से जुड़ल पद्धतियन के विशेषज्ञ के एह घरी माँग बढ़ल बा...

खेल आ शारीरिक शिक्षा के झेत्र में बढ़ रहल संभावना के चलते ई एगो कैरियर के बेहतर विकल्प बन के उभरल बा। देश के जानल-मानल विश्वविद्यालयण में एह से जुड़ल नया पाठ्यक्रमन् के शुरुआत भइल बा। कई गो शिक्षण संस्थान भी खेल आ शारीरिक शिक्षा के एगो बेहतर पाठ्यक्रम के रूप मान्यता देवे लागल बा। शारीरिक शिक्षा प्राथमिक आउर मध्य शिक्षा के बेरा पढ़ावल जाय वाला एगो पाठ्यक्रम ह। एह शिक्षा के सम्बंध ओह प्रकिर्या से बा जवन मनुष्य के शारीरिक विकास आउर कार्यन के समुचित संपादन में सहायक होला...

परिचय

वर्तमान में शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम के अंतर्गत व्यायाम,खेलकूद,मनोरंजन आदि विषय आवेला। संघे-संघे वैयक्तिक आ जनस्वास्थ्य के भी एहमे स्थान बा। कार्यक्रम निर्धारित करेला शरीर रचना आ शरीर क्रिया विज्ञान,मनोविज्ञान के साथे समाज विज्ञान के सिद्धांतन् से अधिकतम लाभ लिहल जाला। वैयक्तिक रूप में शारीरिक शिक्षा के उदेश्य शक्ति के विकास आउर नाड़ी स्नायु सम्बंधी कौशल के वृद्धि करल होला,जबकि सामूहिक रूप में सामूहिकता के भावना के जागृत करे के होला...

भारत में शारीरिक शिक्षा के उदय

भारत में शारीरिक शिक्षा के झेत्र में भारतीय व्यायाम पद्धति के पमुख स्थान ह। जवना समय यूनान,स्पार्टा आ रोम में शारीरिक शिक्षा के चमकत काल के उदय होत रहे,ओह समय में भी भारतवर्ष में वैज्ञानिक आधार पर शारीरिक शिक्षा के ढाँचा बन चुकल रहे आ ओह ढाँचा के प्रयोग भी होखे। आश्रम आउर गुरुकुल में छात्रगण आ अखाड़ा आउर व्यायामशाला में आम लोग व्यायाम के अभ्यास करे। एह व्यायामन् में दंड बैठक,मुगदर,गदा,नाल,धनुर्विधा, मुष्टी, व्रजमुष्टी, आसन प्राणायाम,भस्त्रिका,सूर्य नमस्कार, नौली, धौती आदि प्रकिर्या प्रमुख रहे।

अंतरास्ट्रीय पहचान

प्रगतिशील देशन में एह जे जुड़ल कार्यक्रमन् के अंतरास्ट्रीय प्रतियोगिता आ समारोह के संख्या दिन-प्रतिदिन ,बढ़ल जात बा। एह विषय में प्रशिक्षण देवेला शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय खुलल बा,जहवाँ अध्यापक आउर अध्यापिकागण तय प्रावधान के तहत दू बरिस भा एक बरिस के प्रशिक्षण प्राप्त करेला लोग। ई संस्था सब समय-समय पर प्रादेशिक,राष्ट्रीय और अंतरास्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता भी आयोजित करत रहेली स। प्रतियोगिता में भाग लेवे वाला प्रतिभागियन् के विशिस्ट प्रशिक्षण दिहल जाला। एहि कारण से वैश्विक प्रतियोगिता में दिनोंदिन प्रगित होत जात बा...

प्रमुख शिक्षण संस्थान

हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला  गुरु नानकदेव यूनिवर्सिटी, अमृतसर  लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक संस्थान ग्वालियर(एशिया का एकमात्र डीम्ड विश्वविद्यालय)  उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद  कालेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन पुणे, महाराष्ट्र  इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंस, नई दिल्ली  विवेकानंद रूरल एजुकेशन सोसायटी कालेज आफ फिजिकल एजुकेशन, रैचुर कर्नाटक  वीएनएस कालेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड मैनेजमेंट, भोपाल(मप्र)....

शैक्षणिक योग्यता आउर कोर्स  

शारीरिक शिक्षा में प्राथमिक योग्यता 12वीं के बाद सीपीएड होला। 12वीं के बाद ही शारीरिक शिक्षा में तीन वर्षीय डिग्री बीपीई होला। स्नातकन् ला एक वर्ष के बीपीएड डिग्री करावल जाला। स्नातक दो साल की एमपीएड भी कर सकेला...

प्रवेश परीक्षा एमपीएड

एमपीएड में प्रवेश खातिर लिखित परीक्षा आयोजित होला, जवना में बीपीएड और बीपीई स्तर के छात्र भाग लेवेला लो। खेल कूद से जुड़ल सामान्य ज्ञान आउर अन्य गुणात्मक वस्तुनिष्ठ परक प्रश्न पूछल जाला...

एमफिल- पीएचडी

प्रवेश परीक्षा में एमपीएड, एमपीईडी स्तर के बहुउत्तरीय  प्रश्न लिखित परीक्षा में पूछल जाला, जवना में अनुसंधान के विधि, प्रारंभिक सांख्यिकी, शारीरिक विज्ञान के अभ्यास, शारीरिक शिक्षा में मापन व मूल्यांकन, जैव यांत्रिकी आउर गति विज्ञान, शारीरिक शिक्षा का इतिहास प्रशिक्षण विधि आ खेलकूद व क्रीड़ा से संबंधित सामान्य ज्ञान इत्यादि विषयन् से जुड़ल प्रश्न होला...

वेतनमान

शारीरिक शिक्षा में कोर्स कइला  के बाद योग्यतानुसार स्कूल में दस हजार आउर  निमन कोर्स कइला के बाद कालेज में लागे पर 40 हजार तक आरंभिक वेतन मिलेला। एकरा अलावा निजी क्षेत्र में हैल्थ क्लब और जिम्नेजियमों में भी आकर्षक वेतन पर नोकरी मिलेला...

भारतीय खेल प्राधिकरण

भारतीय खेल प्राधिकरण भारत के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय का महत्त्वपूर्ण अंग ह। आपन खेल प्रोत्साहन योजना के माध्यम से भारतीय खेल प्राधिकरण नवहन में प्रतिभा उत्पन्न करे आ ओकरा के निखारे के काम करेला...

शारीरिक शिक्षा के महत्त्व

छात्रण के शरीर के अंगन् के ज्ञान, ओकर रचना आ कार्य के बोध करावे ला शारीरिक शिक्षा महत्त्वपूर्ण बा। शरीर के स्वस्थ रखे ला विभिन्न प्रकार के खेल बा, जैसे बालीबाल, फुटबाल, हाकी, बास्केटबाल, टेबल टेनिस, लान टेनिस,कबड्डी, खो-खो, बेडमिंटन, क्रिकेट, कैरमबोर्ड और शतरंज आदि। हर स्कूल में एगो शारीरिक शिक्षक ओतने महत्त्वपूर्ण बा जेतना पढ़ावे वाला शिक्षक। शारीरिक शिक्षण से बालक के मानसिक विकास त होख़बे करेला संघही शारीरिक विकास के भी सही गति से मिलेला। बच्चा सभे के शिक्षा के साथ खेलकूद में भाग लेवे के चाहि, जवना से ओकरा अंदर खेल के प्रति पूरा सम्मान उत्पन्न हो सके...
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)

Friday 6 May 2016

पंचायत चुनाव

आज ना होली है ना दिवाली, तब सज-धज के भोरे-भोरे काहे तैयार हो?? भैया आने वाले है का?? नवकी भौजाई से मजाक करते हुए पिंटूआ पूछ रहा है...
दरअसल आज बिहार पंचायत चुनावों के तहत चौथे चरण का मतदान हमारे प्रखंड मशरख में हो रहा है। अब गाँव-घर का चुनाव है तो अलगे माहौल है...
रामखेलावन चा कह रहे थे की आज उनकी माई, मने की गाँव भर की आजी भी आज भोट देने जाएंगी। काहेकि ठीक दस बरिस पहिले जब रामखेलावन चा बीमार पड़े थे, तब बिंदिया चाची ही ईलाज का पइसा दी जो आज तक वापस ना ली। आ अब बिंदिया चाची मुखिया ला चुनाव लड़ रही है। सो भोट उन्ही को जाएगा आ उनका त लहर भी है...
एजेंट बिगन समझा रहे है की काकी तुम अउर का छोड़ो हई मुखिया का भोट सही से दे देना,बाकी पाँच गड़बड़ हो जाए तो भी कोई बात नही। हई छह-छह गो भोट एक साथे गिराना है??हाँ,काकी आ उ भी मोहर मार के उ टिप के पी पी करनेवाला ईवीएम पे नही...
सब प्रत्याशी भोटर को याद दिलावे में लगा है की कब और किस लिए कितने का मदद किया था। लेदेके इन्ही समीकरणों पे पंचायत चुनाव के फैसले तय होते है...
एने कुछ प्रत्याशी होमगार्ड के जवान आ पोलिंग पार्टी से सेटिंग के फिराक में है। एगो अफसर सबको सतर्क कर रहे है, भैया पुरनका जमाना नही रहा,कवनों फेसबुक ओसबूक पर डाल दिया  त अबे बवाल हो जाएगा। सो निमन से भोट बीत जाने दो...
25 साल पहिले इन्ही चुनावों में कभी अपना बेटा खो देने वाले रामजीत साहू को अब इस बात की सन्तुष्टी है की इंतेजाम कड़ा है... सो अब किसी का बेटा इन चुनावों की भेट नही चढ़ेगा...
हेने तो गजबे माहौल है, ड्यूड कल्लू आ एंजेल गोल्डी के ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नही है। दुनों आज बूथ पर एक दुसरा को जी भर देखने का पिलान बनाया है,कहता है सब! फेसबुक आ व्हाट्सऐप प फ़ोटो त रोज देखते है आज आमने-सामने से देखेंगे...
कलुआ आ तो भिनसहरे डीह बाबा से माँग आया है की इस पंचायत चुनाव के प्रत्याशियों की तरह ही एंजेल गोल्डी से उसका मुहब्बत का इलेक्शन जितवा देना। पांच रुपया का लड्डू चढ़ाएंगे...
कह रहा था पंचायत की जनता की तरह खुश रखेगा उ गोल्डी को...

Friday 29 April 2016

समाज के असल निर्माता


"ये है समाज के असल निर्माता"

आज वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा का वह दौर है जहाँ स्तरीय शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। स्तरीय शिक्षा के भी अलग-अलग मायने है:- आज स्तरीय शिक्षा को महँगे स्कुल-कॉलेज से जोड़कर देखा जाता है। हाँ, यह सच है की महँगे स्कुल कॉलेजों में वो तमाम सुविधाएं उपलब्ध होती है जिनके बलबूते आसमां की बुलंदियों पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। पर क्या हर व्यक्ति, हर छात्र इतना सामर्थ्यवान है की वो इन स्कुल कॉलेजों में शिक्षा अर्जित कर सके?? इसलिए आज हम आपको सारण जिले के ऐसे गाँव से जुडी कहानी बताऊंगा जिसने न केवल सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया है अपितु शिक्षा के झेत्र में कई नए आयाम स्थापित किये है। तो लीजिये पेश है ये पूरी रोचक दास्तान.... 

सारण जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर तथा मांझी प्रखंड कार्यालय से 12 किलोमीटर दूर अवस्थित है नसीरा ग्राम और यहां है एक ऐसा शैक्षणिक संस्थान, जिसके संस्थापक ने बीड़ा उठाया है गरीब और पिछड़े बच्चों को स्तरीय शिक्षा दिलाने का वो भी पूर्णतः निशुल्क!

10 मई 2015 को युवा अवनीश कुमार शर्मा ने निशुल्क विद्यालय "देव कुमार शर्मा पब्लिक स्कुल" की स्थापना की। आज यह विद्यालय नर्सरी से कक्षा 5 तक के लगभग 50 बच्चों को शिक्षित बनाने के पवित्र कर्तव्य का निर्वहन कर रहा है।

इस विधालय में ना केवल निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है  अपितु किताबें और पठन-पाठन की सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है। संस्थापक परिवार का मूल उदेश्य पुरे को गाँव के बच्चों को शिक्षित करना है जो आगे चलकर बड़े-बूज़र्गों को शिक्षित करेंगे।

मुख्यतः गौर करने वाली बात यह है की ग्राम नसीरा से सटे कोहारा बाजार पर 10 से 12 निजी विधालय शिक्षा प्रदान कर रहे है। परंतु गरीब परिवार चाहकर भी अपने बच्चों का नामांकन इन विद्यालयों में नही करा पाते। ऐसे में देव कुमार शर्मा पब्लिक स्कूल का संचालन न केवल इन ग्रामीण परिवारों के लिए अलादीन का चिराग बनकर आया है सामने आया है वरण उनके बच्चों को उँची शिक्षा दिलाने के लिए एक सार्थक कदम भी है।

कुछ ही दिनों में अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश करने जा रहा यह विधालय परिवार जब कभी पीछे मुड़कर देखेगा तो उसे वह सपना साकार होते प्रतीत होगा जो उन्होंने कभी इन बच्चों और परिवारों के लिए देखा था।
तो आईये ना हम इन्हें  प्रोत्साहित कर इनका मनोबल बढ़ाये और समाज के उत्थान हेतु अपने कर्तव्य का पालन करें। इस आशा एवं विश्वास के साथ की जल्द ही यह विधालय कक्षा 5 से 10वीं तक का सफर तय करेगा, पूरी 'देव कुमार शर्मा पब्लिक' परिवार को मेरा सादर प्रणाम एवं सलाम।
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Tuesday 5 April 2016

तईयारी रखे के ख़ास बा

#भोजपुरी #माटी-8

तइयारी रखे के ख़ास बा(हकीकत)

ना जाने ए घरी आपस में कवन दू दांव-पेंच खेलल जात बा,
अपनवला के बाद जरूरत परला प लात मार दिहल जात बा।

भाई के भाई से लड़ावे ला रोज नाया नाया तरकीब बनावल जात बा,
एने के बतिया ओने करे वालन के भाव बढ़ावल जात बा।

पड़ोसी आपन बात पड़ोसिये से बतावे में ही हिचकिचात बा,
नियरा के लोग से जादे ए घरी दूर के लोग से मदद मांगल जात बा।

छल-कपट के बात भईल आम बा,एहिसे लोग के विश्वास टुटल आज बा,
विश्वास के नाव आज पइसा रुपया के दिहल जात बा।

कहे अनुराग, आपस में मेल-मिलाप के जरूरत जब आज बा,
त काहे दुश्मनी के बिया छीटे ला खेत के फरहर कईल जात बा।

आगे बढ़े ला अपने आपन के टँगरि घिची के इनार में फेके ला तईयार बा,
सम्भावित खतरन् से अपना के बचावे ला,तइयारी रखे के ख़ास बा।
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)
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Thursday 24 March 2016

होली का तड़का

खेसारी जी डीजे पर बड़े ही शान से बज रहे है...
बताव ये रानी फिचकारी के पानी तोरा लहंगा में लाहे लाहे जाता की ना...
जी हाँ, ये दृश्य छपरा,बलिया के किसी गाँव शहर के होली का नही है...
ये दृश्य तो देश की शिक्षा नगरी के रूप में विख्यात कोटा(राजस्थान) शहर की है...
ये आज का वो युवा है जो आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर बनेगा..
यकीन माने इन्हें एक सही दिशा दे दी जाए तो सूरतेहाल बदल जाएंगे..
ठीक है होली है,यूवाओ के उत्साह का संगम है..तो क्या उत्साह का बाजार सिर्फ अश्लील गीतों से ही चमकेगा...
होली का तड़का खेसारी और खुशबु के गीतों से नही बल्कि आपसी मेलभाव से ही छौका जा सकता है...
आज का युवा अगर यह समझ ले तो होली को पारंपरिक त्यौहार के रूप में कायम रखने में हमे सफलता अवश्य मिलेगी।
खैर,आपका होली है और आप ही तय करे इसे कैसे खेलेंगे और किस तरह आगे बढ़ाएंगे..
होली की शुभकामनाएं के साथ आपका,
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)

Tuesday 22 March 2016

होली कब है??

रमेसवा का परिवार आज खूबे खुश है। काहे ना खुश हो होली पर सऊदी से तीन साल बाद रमेसवा जो आया है...
गाँव-जवार में पहिलही से हाला हो गया है की अबकी होली का मेन पिरोग्राम रमेस के दुआर पर होगा... रमेस बो इंतेजाम में लग गई है। पकवान ओकवान त गाँव-घर की मेहरारू सब मिल के बना लेगी...
घर दुआर लीपना भी तो होगा....गड़ी छोहाड़ा आ अबीर भी खरीदा गया है।
दारु का इंतेजाम हो जाना चाहिए टाइम पर,कांति चा रमेसवा को समझा रहे है महफ़िल का रंग ईहे तो जमावेगा...
एने प्रताप बाबू होली में घर आने का पिलान केंसिल कर दिए है। माई-बाबूजी को कह दिए है,पढ़ाई का लोड है... अगिला साल मना लेंगे होली माई तोहरा संघे। माई कह रही है बबुआ कबो होली में घर से बाहर नही रहा जी,मन केंग दू हो जा रहा है...
कवन समझावे की प्रताप को पढ़ाई का लोड नही संगीतवा रोक ली है।...
ईहे सोच के मने-मने प्रताप फूल के डोसा जा रहा है की अबकी होली उ संगीतवा के संघे खेलेगा...
हेने काउर हमरा जईसा स्टूडेंट सब ईहे सब सोच के बौरा गया है कि इस बार इकजामवा बीत जाय त अगला बेर सारा लहार हमहूँ ना लुटे तो हमरा नाम...
प्रकाशवा फेसबुक आ व्हाट्सएप्प पर सभे से पूछ-पूछ के थक-हार के सूत गया की होली कब है??
23 को की 24 को...
डेट का कंफ्यूजन एह बार एतना जादा है की पहिलका बेर डेट प गए ड्यूड कलुआ आ एंजेल गोल्डी भी कांफुजिआ के गए है की आजे का डेट रखे थे की काल्हे का??
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)

Sunday 28 February 2016

"एगो परीक्षा अईसन भी"

"एगो परीक्षा असन भी"

प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता, स्नातक के परीक्षा शुरू भईल  आधा घंटा बीतत होई। कॉलेज के मुख्य द्वार बंद हो चुकल बा। तबही एगो छात्र आईल आ गार्ड से परीक्षा हॉल में जाए के अनुमति मांगे लागल। गॉर्ड के ना मानत देख के उ छात्र प्राचार्य के बोलावे ला निहोरा कईलस। धीरे-धीरे बहस आ शोर बढे लागल। निरीक्षण के खातिर घुमत प्राचार्य शोर सुन के मुख्य गेट के तरफ बढ़ गईलन। उहाँ उ छात्र के बात समझ के उनका लेट अइला के वजह से परीक्षा में ना बईठे देवे के नियम के सफाई देके समझावे के प्रयास कईलन। छात्र के गुहार के कउनो असर उनका प ना भईल। उ जब लौट के जाए लगले त उ छात्र कहलन "आई एम द राजेन्द्र हु नेवर स्टूड सेकंड इन एनी एग्जाम"। प्राचार्य उनकर ई बात सुन के आखिरकार अनुमति दे दिहले। छात्र धन्यबाद देत अपना परीक्षा हॉल के रुख कईले। इहवाँ हम ई ध्यान दिलावे के चाहेंम की अंग्रेजी ग्रामर के नियम के अनुसार कउनो व्यक्ति के नाम के पहिले 'द' के प्रयोग ना होखे ला। एकर इस्तेमाल ई दर्शावे खातिर काफी रहे की उ छात्र के अनुसार उनका जईसन कोई ना रहे ना होई। खैर परीक्षा में बइठे के अनुमति मिलल। अंग्रेजी के पेपर में ओ घरी 10 गो सवाल पुछल जाव,आ ओमे से 5 गो सवाल ही करे के रहत रहे। प्रश्न पत्र के दसो सवाल हल क के उ छात्र लिखले "चेक एनी फाइव" आ आधा घंटा पहिलही निकल गईले। जब परीक्षक कॉपी देखले त अतना प्रभावित भईले की उत्तर पुस्तिका प आपन टिपण्णी दिहले "एग्जामिनि ईज बेटर दैन द एग्जामिनर"। अब सवाल ई बा कि  एतना प्रतिभाशाली छात्र के उ कौन मज़बूरी रहे जउन वजह से उ परीक्षा में देर से पहुँचल? दरअसल,चूँकि कॉलेज बंगाल  के रहे त अधिकांश छात्र बंगाल के रहे लोग आ ओ लोग के एगो दूसर राज्य के छात्र(बिहारी) के हर परीक्षा में टॉप कईल अच्छा ना लागत रहे। ओहि से उ लोग उनका के परीक्षा के समय आधा घंटा देर से लिखा देले रहे,ताकि परीक्षा में ना बईठ पईला की वजह से उ टॉप ना कर पावस। ओह महान विभूति के नाँव 'राजेंद्र प्रसाद' रहे। उहाँ के आगे चल के स्वतन्त्र भारत के पहिलका राष्ट्रपति भईनी। उहाँ के योगदान देश के स्वंत्रता संग्राम में अतुलनीय रहे। उहाँ के समूचा जीवन देश-सेवा में बीतल।उहाँ के हमार बेरि-बेरि नमन बा...
अनुराग रंजन
कोटा,राजस्थान।
स्थाई पता:-मशरख(सारण),बिहार।
कार्य:-वर्तमान में आईआईटी परीक्षा के तैयारी आ स्वतन्त्र रूप से लेखन।

नोट:- भोजपुरी ई पत्रिका आखर के दिसंबर अंक में ई लेख प्रकाशित हो चुकल बा..

Wednesday 17 February 2016

भोजपुरिया पाती

प्रणाम,

आशा बा की सभे निमन होई। आज हम भोजपुरिया पाती लिख रहल बानी,एह उम्मीद के जरे की रउआ सभे के साथ आ सहयोग दिलावे में ई पाती आपन योगदान दिही।

आज हमनी के भोजपुरी एगो संघर्ष के इस्थिति में बावे। हमनी के प्रयास भोजपुरी में फईलल अश्लीलता के खत्म करे के, भोजपुरी साहित्य के सृजन करे के आ भोजपुरिया संस्कृति के संघे-संघे एकर समृद्ध विरासत के सहेजल बा।

पिछ्ला कुछ सालन् में भोजपुरी के लोकप्रियता में जहवाँ बेतहासा इजाफा भईल बा ओहिजा एह में फईलल अश्लीलता एह के लोग से दूर कर देले बिया। आज बहुत सारा भोजपूरी संगठन आ पत्रिका एह झेत्र में भी काम कर रहल बा। बहुत सारा गायक लो भी अश्लीलता से नाम कमावे के लोभ छोड़ आदर्श कायम कर रहल बा लोग। आई सभे मिल के ओह लोग के काम के सहयोग आ प्रोत्साहन दिहल जाव,साथ आ स्नेह के ताकत से।

हमनी के मकसद भोजपूरी के ओकर उचित स्थान आ ओहदा दिवावे ला एक मंच पर इकठ्ठा कईल ला। आशा बा सभे भोजपुरिया एह खातिर आपन जिम्मेवारी के निर्वाहन करी। बहुत सारा लोग के योगदान आ प्रतिबद्धता देख के ही हमरा जईसन नवहा आज एह ला प्रयासरत बा। रउआ सभे से आज  राउर पोता/बेटा/भाई  दसों नोह जोड़ के निहोरा कर रहल बा।

सभे बड़ बुजुर्ग के प्रणाम आ छोट भाई बहिन के शुभाशीष।

राउर आपन,
अनुराग रंजन

Tuesday 16 February 2016

एक यादगार दिन

आज का दिन यादगार बन गया। कारण सोशल मीडिया पर सक्रीय कई मित्रों से फोन पर बात हुई। अपितु मित्र कहना सरासर गलत है। अतः

1. Saurbh Chaturvedi सर से बात हुई। मन आनंदित हो गया। ऐसा लगा मानो उन्होंने सेवा का मौक़ा सिर्फ आशीर्वाद देने हेतु ढूढ़ निकाला था। ख़ुशी का आलम यह है की आज 10 प्रश्न रोजना के तय सूचि से ज्यादा हल कर चुका हूँ। सर को सादर प्रणाम,तथा तहे दिल से आभार।

2. बड़े भैया सर्वेश तिवारी श्रीमुख जी से दो बार बात हुई। उनसे भोजपूरी को लेकर संछेप में लगभग हर मुद्दे पर बात हुई। उन्होंने हमे भोजपूरी में लिखते रहने के लिए प्रेरित किया। साथ ही उज्वल भविष्य हेतु ढेर सारा आशीर्वाद मिला।  आदरणीय सर्वेश भईया को प्रणाम और शुक्रिया। जय हो जय हो।

3.साथ ही Shashi Ranjan Mishra भईया से भी बात भईल। ब्लॉग से जुड़ल मुद्दा प सार्थक आउर सटीक बात भईल। उहाँ के ऑफिस में रहला के वजह से कम शब्द में लेकिन कामयाब बातचीत भईल। ईहा के कभी फुरस्ताह में फोन क के निमन से आशीर्वाद लिआई। भईया के चरण-स्पर्श आ धन्यवाद बा।

4.असित कुमार मिश्र गुरुदेव से तो लगभग एक महीने पहले ही लम्बी एवं अति प्रोत्साहि बातचीत हो चुकी है। उनके आशीर्वाद से आज मैं अपने लक्ष्य पर निशाना साधने को तैयार हूँ। मैं ना केवल उन्हें साहित्यिक गुरु मानता हूँ वरन एक परफेक्ट निर्देशक भी मानता हूँ । गुरूवर की ही वजह से मेरा ध्यान भटकाने वाली चीजों से मोह भंग हुआ है। उनके शब्दों ने मेरे अंदर एक नये ऊर्जा का संचार किया है। सर को हार्दिक प्रणाम तथा चरण स्पर्श।

5. बाकी रह गए है,तो केवल और केवल Atul Kumar Rai भईया। उनसे भी जल्द ही फोनिक बातचीत की उम्मीद है। अतुल भईया को प्रणाम तथा सादर आभार। आपका साहित्य और संगीत के प्रति जो समपर्ण है वह मुझे अपने झेत्रों में समपर्ण हेतु सदैव प्रोत्साहित करती है।

अततः इसी कामना के साथ की आप सबों का आशीर्वाद तथा स्नेह मुझे यूँही सदैव मिलता रहेगा। लव यु ऑल। सादर प्रणाम।
आपका,
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)
©anuragranjan1998@gmail.com™

Sunday 14 February 2016

वामपंथी मोहब्बत का एक और खत...

वामपंथी मोहब्बत का एक और खत...

असित सर के परमिला भौजी,अतुल भईया के पिंकी जी और सौरव सर के वामपंथी मोहब्बत के सभी चाहने वालो को मेरा प्यार भरा नमस्कार।

असित सर के ललका गुलाब,अतुल भईया के पिंकिया के नाम के लभ का पाना आ सौरव सर के वामपंथी मुहब्बत के धूम के बीच एक ब्रेकिंग न्यूज़ ये है की कुछ बड़े नाम वाले लोगो की शर्मनाक कृत्य सामने आ रही है। माने पोस्ट को चुरा के अपना नाम से हिट कराने की परंपरा। पर इसके साथ ही इनके(शायद हमारे भी) चाहने वालो की पारखी नजर से इन सब का बच पाना नामुमकिन है। ऐसे चोरों की लंका में आग लगाने का काम हम जइसे हनुमानों ने शुरू कर दिया है। उन्हीं लोगो और अपने चाहने वालों को समर्पित मेरी ये कविता...

वे हमारा चुरायेंगे,हम उन्हें ढूढ़ कर निकालेंगे।
वे अपना कहेंगे, हम उन्हें घसीट कर तड़पायेंगे।।

बलिया वालों का चुराओगे,मशरख वाले भी कह के मारेंगे।
हमें लिखने से ना रोक पाओगे,तुम खुद एकदिन शर्म से मर जाओगे।।

तुम जब तक आजमाओगे,हम तब तक असिलयत बताएँगे।
अब रुक भी जाओगे,तो भी अब हम तुम्हे माफ़ नही कर पाएंगे।।

हम डंके की चोट पर तुम्हे नचाएंगे,तुम नाचते-नाचते थक जाओगे।
जनाजे पर खुद से लजाओगे,लोग तुम्हे विदाई भी देने ना आएंगे।
शेम ऑन यू चीटर्स...

इस समस्या से निदान के लिए सभी लेखको से मेरा विनम्र निवेदन है की गूगल प्ले स्टोर से ब्लॉगर का 6-7 एमबी का ऍप इंस्टॉल कर जीमेल अकाउंट से अपना ब्लॉग बना ले। प्रत्येक पोस्ट से पहिले वहाँ पोस्ट करने के बाद ही फेसबुक पर डाले। समस्या आने पर इनबॉक्स में मिले। सभी ओरिजीनल लेखकों का अपना साथी..
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)



Monday 8 February 2016

मेरे तलवार

ये दिन,ये रात और ये किताब है मेरे तलवार!
एक दिन, ये ही करेंगे मेरे हर सपने को साकार...

बस मुझे है,उचित वक़्त और मौके की दरकार!             फिर ये दुनिया देखेगी मेरे प्रतिभा की असल वार...

अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)

Friday 5 February 2016

"ना जाने कईसे दू..."

किताब-कॉपी के छोड़ फेसबुक आ ट्वीटर पढ़ल जात बा।
भलही,काहेना टॉप करेके सपना रोज देखल जात बा।।

क्लास छोड़ के फ़िल्म रोज देखल आ देखावल जात बा।
भलही, काहेना माई-बाबूजी के भरोसा तमाम रोज दिहल जात बा।।

मैसज आ वीडियो चैट ला इंटरनेट के कनेक्सशन लिहल जात बा।
भलही,काहेना किताब-कॉपी किने के कह के रुपिया मँगावल जात बा।।

पिज्जा-बर्गर आ कोल्डड्रिंकस के आर्डर दिहल जात बा।
भलही,काहेना दुध-दही से दुरी रोज बढ़ल जात बा।।

पढ़ाई के वजह से व्यस्तता के रोना हरवक़्त रोवल जात बा।
भलही,काहेना सोशल मीडिया प ऑनलाइन हरदम भेटा जाईल जात बा।।

टोकले प ही सही,हमरा से बोलल छोड़ के पढाई करत उ दिन-रात बा।
ना जाने कईसे दू, पढ़ाई के कीमत ओकरो अब बुझात बा।।