Tuesday 5 April 2016

तईयारी रखे के ख़ास बा

#भोजपुरी #माटी-8

तइयारी रखे के ख़ास बा(हकीकत)

ना जाने ए घरी आपस में कवन दू दांव-पेंच खेलल जात बा,
अपनवला के बाद जरूरत परला प लात मार दिहल जात बा।

भाई के भाई से लड़ावे ला रोज नाया नाया तरकीब बनावल जात बा,
एने के बतिया ओने करे वालन के भाव बढ़ावल जात बा।

पड़ोसी आपन बात पड़ोसिये से बतावे में ही हिचकिचात बा,
नियरा के लोग से जादे ए घरी दूर के लोग से मदद मांगल जात बा।

छल-कपट के बात भईल आम बा,एहिसे लोग के विश्वास टुटल आज बा,
विश्वास के नाव आज पइसा रुपया के दिहल जात बा।

कहे अनुराग, आपस में मेल-मिलाप के जरूरत जब आज बा,
त काहे दुश्मनी के बिया छीटे ला खेत के फरहर कईल जात बा।

आगे बढ़े ला अपने आपन के टँगरि घिची के इनार में फेके ला तईयार बा,
सम्भावित खतरन् से अपना के बचावे ला,तइयारी रखे के ख़ास बा।
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)
©anuragranjanmsk.blogspot.com™

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