उहे त किसान बा

करजा लियात बा,
बियवा छिटात बा,
दिनवा जोडात बा,
उहे त किसान बा।

पनिया पटात बा,
खेतवा सोहात बा,
समईया दियात बा,
उहे त किसान बा।

मनवा में आश बा,
खेतवा अगोरात बा,
फसलवा कटात बा,
उहे त किसान बा।

बोझवा गिनात बा,
मुड़ीये प ढ़ोआत बा,
खरिहानि में पिटात बा,
उहे त किसान बा।

घरवा में उसिनात बा,
ओखरी में कुटात बा,
चलनी में चालात बा,
उहे त किसान बा।

चूल्हा प रखात बा,
माढ़वा पसात बा,
सभे के घोटात बा,
उहे त किसान बा।

अनुराग रंजन के आखर परिवार के सभे के प्रणाम बा।
जय आखर,
जय भोजपुरी।

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