राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने क्या किया,क्या नही किया??उन्हें भगत सिंह को बचाना चाहिए था या नही??ये चंद सवाल कुछ लोगो के जेहन में आज भी जरूर हो सकता है। परन्तु आज इस अवसरवादी युग में उनके द्वारा दिखाए गए सत्य एवं अहिंसा के मार्ग पर हम कितना चल पाये है?? यह सवाल उससे कही ज्यादा बड़ा और सोचनीय है। आज अखलाख की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी जाती है,की कुछ चंद लोगो को यह आभाष था की उन्होंने गौमांस पकाया। कोई नही जानता की सच क्या था?? यह जांच का विषय जरूर है।सिर्फ शक के विनाह पर किसी हत्या करना कहा तक उचित है??और वह भी इसलिए की वह किसी दूसरे जाती,धर्मं और समुदाय से सम्बंधित है। आखिर किसी के परिवार के आसरे को उजाड़ना किस धर्म की परिभाषा है??
अपने अवसरवादी सोच की पूर्ति के लिए आज प्रत्येक आदमी हिंसा का रुख करने को तैयार है और हर संभावित मोके की तलाश में है। गांधी जयंती पर आज बहुत कुछ लिखा और बोला जायेगा। आज जरुरत सिर्फ इस बात की है की,सभी एक दूसरे को संबल प्रदान करते हुए आगे बढे। सत्य और अहिंसा को परिभाषित करते हुऐ अपने सपनो को पूर्ण करे। सफलता आप के इन्तेजार में हैं।
क्या हिन्दू,क्या मुसलमान,
क्या सिख,क्या ईसाई,
सबके सुखो का कारण है,
सत्य और अहिंसा।
कर सत्य को परिभाषित,
कर ले तू अहिंसा का प्रदर्शन,
विजय तुम्हारा होगा,
बस तू अपना कर्म करते जा,
शर्त तो सिर्फ इंसानियत की है।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है की सत्य एवम् अहिंसा का हरसंभव पालन करने का प्रण लेऔर बापू के सपनो को साकार करे।
अनुराग
छपरा(मशरख)।
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