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समाज के असल निर्माता

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"ये है समाज के असल निर्माता" आज वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा का वह दौर है जहाँ स्तरीय शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। स्तरीय शिक्षा के भी अलग-अलग मायने है:- आज स्तरीय शि...

तईयारी रखे के ख़ास बा

#भोजपुरी #माटी-8 तइयारी रखे के ख़ास बा(हकीकत) ना जाने ए घरी आपस में कवन दू दांव-पेंच खेलल जात बा, अपनवला के बाद जरूरत परला प लात मार दिहल जात बा। भाई के भाई से लड़ावे ला रोज नाया नाया ...

होली का तड़का

खेसारी जी डीजे पर बड़े ही शान से बज रहे है ... बताव ये रानी फिचकारी के पानी तोरा लहंगा में लाहे लाहे जाता की ना... जी हाँ, ये दृश्य छपरा,बलिया के किसी गाँव शहर के होली का नही है... ये दृश्...

होली कब है??

रमेसवा का परिवार आज खूबे खुश है। काहे ना खुश हो होली पर सऊदी से तीन साल बाद रमेसवा जो आया है... गाँव-जवार में पहिलही से हाला हो गया है की अबकी होली का मेन पिरोग्राम रमेस के दुआर प...

"एगो परीक्षा अईसन भी"

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"एगो परीक्षा अ ई सन भी" प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता, स्नातक के परीक्षा शुरू भईल  आधा घंटा बीतत होई। कॉलेज के मुख्य द्वार बंद हो चुकल बा। तबही एगो छात्र आईल आ गार्ड से परीक्षा हॉल में जाए के अनुमति मांगे लागल। गॉर्ड के ना मानत देख के उ छात्र प्राचार्य के बोलावे ला निहोरा कईलस। धीरे-धीरे बहस आ शोर बढे लागल। निरीक्षण के खातिर घुमत प्राचार्य शोर सुन के मुख्य गेट के तरफ बढ़ गईलन। उहाँ उ छात्र के बात समझ के उनका लेट अइला के वजह से परीक्षा में ना बईठे देवे के नियम के सफाई देके समझावे के प्रयास कईलन। छात्र के गुहार के कउनो असर उनका प ना भईल। उ जब लौट के जाए लगले त उ छात्र कहलन "आई एम द राजेन्द्र हु नेवर स्टूड सेकंड इन एनी एग्जाम"। प्राचार्य उनकर ई बात सुन के आखिरकार अनुमति दे दिहले। छात्र धन्यबाद देत अपना परीक्षा हॉल के रुख कईले। इहवाँ हम ई ध्यान दिलावे के चाहेंम की अंग्रेजी ग्रामर के नियम के अनुसार कउनो व्यक्ति के नाम के पहिले 'द' के प्रयोग ना होखे ला। एकर इस्तेमाल ई दर्शावे खातिर काफी रहे की उ छात्र के अनुसार उनका जईसन कोई ना रहे ना होई। खैर परीक्षा में बइठे के अनुम...

भोजपुरिया पाती

प्रणाम, आशा बा की सभे निमन होई। आज हम भोजपुरिया पाती लिख रहल बानी,एह उम्मीद के जरे की रउआ सभे के साथ आ सहयोग दिलावे में ई पाती आपन योगदान दिही। आज हमनी के भोजपुरी एगो संघर्ष के ...

एक यादगार दिन

आज का दिन यादगार बन गया। कारण सोशल मीडिया पर सक्रीय कई मित्रों से फोन पर बात हुई। अपितु मित्र कहना सरासर गलत है। अतः 1. Saurbh Chaturvedi सर से बात हुई। मन आनंदित हो गया। ऐसा लगा मानो उन्होंन...