देश के पुकार

देश का कह रहल बा हमनी से,देखी! अंजोरा में चाहे, अन्हरिया में, चलत रहिह तू,हरदम रहिया में, ना रुकब हम,ना रुकिह तू, हँसत रहिह तू,हरवक्त जिनिगिया में, चमकत रहिह तू, हरदम अन्हरिया में...
सोच क्या हैं?? आगे बढ़ने के लिए पहला कदम! मंजिल की राह में एक कदम! उसमे भी नवीन सोच के क्या कहने! हमारा प्रयास आपको नई सोच,बेहतर जानकारी तथा जिंदगी की अनबुझ पहेलियों से रूबरू कराना है। आप यहाँ पर अपने विचार भी शेयर कर सकते है। हमारे ईमेल आईडी anuragranjan1998@gmail.com पर सुझाव भेजे। आपका, अपना अनुराग रंजन।