आई संघे
ना रुकब हम ,ना रुकिह तू, कहत बा भोजपुरी आज।
आई संघे मिल के, दिलावल जाव भोजपुरी के ताज।।
राख ल तू मान हमार, पुकार रहल बा भोजपुरी आज।
आई संघे मिल के, बचावल जाव भोजपुरी के लाज।।
अश्लील गीतन से मुक्ति, माँग रहल बा भोजपुरी आज।
आई संघे मिल के, लोक-संगीत के बढ़ावल जाव मान।।
लिखी, पढ़ी बोली, इहे चाहत बा सबका से भोजपुरी आज।
आई संघे मिल के, राख लिआव भोजपुरी के मान-सम्मान।।
दिआवल भोजपुरी के पहचान, इहे ह भोजपुरियन के काज।
आई संघे मिल के, बढ़ावल जाव भोजपुरी के खांटी पहचान।।
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)
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