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परत , प्रेम के नाम पर षडयंत्र के विरुद्ध शंखनाद है-आशीष त्रिपाठी

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परत , प्रेम के नाम पर षडयंत्र के विरुद्ध शंखनाद है ।  जी हाँ ! पुस्तक समाप्त करने के पश्चात पहला भाव यही आया है मन में । लेखक की लेखन क्षमता के बारे में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है , किन्तु जो विषय चुना है उन्होंने वह अद्वितीय है । सर्वेश यदि  पुस्तक के सम्बन्ध में सूचित करते समय कहते हैं कि इस विषय पर लिखी यह पहली किताब है तो मेरे ज्ञान के अनुसार गलत नहीं कहते । इसके लिए जिस हिम्मत की आवश्यकता होती है , वह कुछ ही लोगों में होती है और सर्वेश उनमें से एक हैं । इस उपन्यास में लेखक ने न तो कहीं अपनी भावनाओं के उफान को कम करने का प्रयास किया है और न ही कलम की धार को कुंद होने दिया है । विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से राजनीतिज्ञों और व्यवस्था को जिस तरह से धोया है लेखक ने उसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है , अद्भुत । पूरा उपन्यास आपको आपके ही समाज से परिचित कराता निर्बाध गति से आगे बढ़ता है और पुस्तक के अंत में आपको अपनी पूर्णता का बोध करा के दम लेता  है । जबरदस्त रोचकता लिए यह उपन्यास अपनी प्रवाहपूर्ण प्रस्तुति के लिए भी जाना जाएगा , मैंने इसे एक दिन में खत्म किया है । उपन्यास में...

सर्वेश तिवारी श्रीमुख जी की कालजयी उपन्यास "परत" की समीक्षा प्रीतम पाण्डेय के कलम से....

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परत ,सर्वेश तिवारी श्रीमुख के द्वारा लिखा गया पहला उपन्यासहै । परत , एक गाँव की कहानी है । गँवई समाज की व्यथा है जो होती तो नजरों के सामने है लेकिन हम सब उस व्यथा पर चुप रहते हैं । हम ये नही सोचतें कि भविष्य पर इसका कैसा असर पड़ेगा । हम सब जानते हैं कि गाँव की कहानियाँ गर्मियों में एसी और जाड़े में हीटेड कमरों में बैठकर लिखी जाती हैं । कमोबेश सारे लेखकों की कहानियों में गाँव मिल ही जाता है । लेकिन परत गाँव में घटी हुई ऐसी कहानी है जो लेखक से लिखवाने के लिए  पीपल के पेड़ चबूतरे पर , बाहर कोठरी में , खेत की मेढ़ तक ले गई । परत वैसा उपन्यास है जिसे पढ़कर आपको लगेगा कि ये घटना मेरे बगल की है । आपके आँखों में सारे दृश्य नाचते हुए मिलेंगे । लगेगा जैसे परत को आपने जीया है । परत वैसा उपन्यास है जिसकी प्रतीक्षा लोग कई महीनों से कर रहे थें और जब यह अमेजन पर उपलब्ध हुई तो वैसे ही खुली जैसे कोई परत खुलती है । अमेजन पर उपलब्ध होने के मात्र आठ घंटे भीतर ही बेस्ट सेलर की श्रेणी में पहुँच जाना किसी उपन्यास के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है । उसके पाठक झूम उठते हैं ऐसी उपलब्धी पर । सोचिए लेखक की प्रसन्नत...