परत , प्रेम के नाम पर षडयंत्र के विरुद्ध शंखनाद है-आशीष त्रिपाठी

परत , प्रेम के नाम पर षडयंत्र के विरुद्ध शंखनाद है । जी हाँ ! पुस्तक समाप्त करने के पश्चात पहला भाव यही आया है मन में । लेखक की लेखन क्षमता के बारे में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है , किन्तु जो विषय चुना है उन्होंने वह अद्वितीय है । सर्वेश यदि पुस्तक के सम्बन्ध में सूचित करते समय कहते हैं कि इस विषय पर लिखी यह पहली किताब है तो मेरे ज्ञान के अनुसार गलत नहीं कहते । इसके लिए जिस हिम्मत की आवश्यकता होती है , वह कुछ ही लोगों में होती है और सर्वेश उनमें से एक हैं । इस उपन्यास में लेखक ने न तो कहीं अपनी भावनाओं के उफान को कम करने का प्रयास किया है और न ही कलम की धार को कुंद होने दिया है । विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से राजनीतिज्ञों और व्यवस्था को जिस तरह से धोया है लेखक ने उसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है , अद्भुत । पूरा उपन्यास आपको आपके ही समाज से परिचित कराता निर्बाध गति से आगे बढ़ता है और पुस्तक के अंत में आपको अपनी पूर्णता का बोध करा के दम लेता है । जबरदस्त रोचकता लिए यह उपन्यास अपनी प्रवाहपूर्ण प्रस्तुति के लिए भी जाना जाएगा , मैंने इसे एक दिन में खत्म किया है । उपन्यास में...